Detailed Notes on इतिहास

वस्तुतः बरनी की कृतियां ऐतिहासिक दृष्टि से अमूल्य हैं तथा ये बाद के इतिहासकारों के लिए प्रेरक रही हैं। इलियट एवं डाउसन ने ‘भारत का इतिहास’ (तृतीय खण्ड) में बरनी के कई उद्धरण दिये हैं तथा डॉ॰ रिजवी ने उसकी कृति ‘तारीख-ए-फीरोजशाही’ का हिन्दी अनुवाद किया है। तारीख-ए-फीरोजशाही[संपादित करें]

पुतिन के विरोधी नेता को मुक्का मारकर मारा गया

सिक्के ऐतिहासिक जानकारी के एक अन्य प्रमुख स्रोत हैं। सिक्के इतिहास के महत्त्वपूर्ण प्राथमिक स्रोत हैं, जो राजाओं के नाम, उनकी उपाधियों और चित्रों, घटनाओं, स्थानों, तिथियों, राजवंशों के साथ मिलते हैं। सिक्के प्रायः सोने, चाँदी, ताँबे या सीसे के बने होते थे। सिक्कों में धातुओं की संरचना से साम्राज्य की आर्थिक स्थिति की जानकारी मिलती है। राजा की सैन्य विजयों क्षेत्रीय विस्तार, व्यापार संबंध और धार्मिक आस्था जैसी उपलब्धियों के बारे में भी सिक्कों से महत्त्वपूर्ण जानकारी मिलती है। सिक्के प्रायः सोने, चाँदी, ताँबे या सीसे के बने होते थे। मध्यकालीन सिक्कों से तत्कालीन सुल्तानों और बादशाहों के समय की आर्थिक स्थिति पर प्रकाश पड़ता है। कभी-कभी सिक्कों पर राजाओं, देवताओं की आकृतियाँ, शासकों के नाम और तिथियाँ मिलती हैं। कुछ सिक्कों पर धार्मिक और पौराणिक प्रतीक अंकित होते हैं, जिससे उस समय की संस्कृति पर प्रकाश पड़ता हैं। सिक्कों से तत्कालीन व्यापार और वाणिज्य के संबंध में जानकारी के साथ-साथ लोगों के आर्थिक जीवन पर भी महत्त्वपूर्ण प्रकाश पड़ता है। इन सिक्कों से विभिन्न राजवंशों के इतिहास के पुनर्निर्माण में भी सहायता मिलती हैं।

यह अरबी भाषा में लिपिबद्ध है। इससे मुहम्मद-बिन-कासिम से पहले तथा बाद के सिन्ध के इतिहास का ज्ञान होता है। इसका फारसी भाषा में भी अनुवाद किया गया है। इसके लेखक अली अहमद हैं। तहकिकात-ए-हिन्द (किताब-उल-हिन्द)[संपादित करें]

केजीबी ने यातना कैंपों में विरोधियों को मारा

सद्वृत्तियों का विकास करने के अर्थ

ब्रिटेन के चुनाव में भारतीय कनेक्शन की बात करें तो भारतीय मूल के ऋषि सुनक के नेतृत्व में कंजर्वेटिव पार्टी इस बार सत्ता से बाहर हो गयी है. वहीं इस चुनाव में कई भारतीय मूल के नेता भी सांसद बने है.

आदाब उल हर्ब वा अल शुजात ( फक्र-ए-मुदब्बिर)

दरअसल, बाबरनामा में जिन वर्षों का इतिहास नहीं मिलता है, उन वर्षों की जानकारी के लिए यह ग्रंथ बहुत उपयोगी है। यद्यपि अहमद यादगार अधिकांश सामग्री अकबर और जहाँगीर के शासनकाल के दौरान लिखी गई रचनाओं से शब्दशः नकल की है, फिर भी, उसका विवरण लोदी और सूर वंश के इतिहास की जानकारी का यह एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है।

में हुआ, मुगल बादशाह शाहजहाँ और औरंगजेब के साथ-साथ समकालीन प्रमुख अमीरों, मुगल दरबार तथा मुगल शासन प्रणाली की जानकारी के लिए उसका विवरण विशेष महत्त्वपूर्ण है। हीरे का व्यापारी होने के कारण हीरा-व्यापार और खनिजों के बारे में ट्रैवर्नियर का विवरण अद्वितीय है। टेवर्नियर के विवरण से ही भारत के विश्व-प्रसिद्ध कोहिनूर हीरे के संबंध में जानकारी मिलती है।

मुगलकालीन ऐतिहासिक स्रोतों में राजकीय पत्र, डायरियां, फरमान, ऐतिहासिक ग्रंथ एवं विदेशी यात्रियों के विवरण प्रमुख हैं। मुगलकालीन फारसी साहित्य के मुख्य ग्रंथ इस तरह हैं- तुजुक-ए-बाबरी[संपादित करें]

आप इतिहास शिक्षण का सह-सम्बन्ध अन्य विषयों से किस प्रकार स्थापित करेंगे ?

लेकिन अलाउद्दीन खिल्जी के द्वारा कैद किये जाने के उपरांत बुक्का तथा हरिहर ने इस्लाम को कबूल कर लिया था

इस क्षेत्र में हम इतिहास के बहुत ऋणी हैं। यह विषय हमको भूतकालीन अनुभवों का एक अक्षय कोष है और website हम इन्हीं अनुभवों के आधार पर अपनी वर्तमान गति को नियंत्रित एवं प्रेरित करते हैं और यही वर्तमान गति भविष्य का पूर्व अनुभव होगी और उसका पथ-प्रदर्शन एवं निर्देशन करेगी। इस प्रकार इतिहास वर्तमान को तो अपने क्षेत्रान्तर्गत रखता है, भविष्य भी उसके क्षेत्र से बाहर नहीं है। कल के अनुभव आज के पूर्व अनुभव हैं और आज के अनुभव कल के पूर्व अनुभव होंगे। इतिहास इस प्रकार भूत, वर्तमान एवं भविष्य इन तीनों में ही मानव स्थिति की विवेचना करता है। इतिहास केवल इन समस्त स्थितियों की सूचना ही नहीं देता वरन् हमें सतर्क रहने के लिए चेतावनी भी देता है।

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